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नाड़ी ज्योतिष भारत की एक अत्यंत प्राचीन और दिव्य ज्योतिषीय प्रणाली है, जिसे ऋषि-मुनियों ने हजारों वर्ष पूर्व सिद्ध किया था। यह ज्योतिष पद्धति विशेष रूप से तमिलनाडु के वैत्तीस्वरन कोइल में प्रसिद्ध है, जहाँ हजारों ताड़पत्र (ओलाई चुवड़ी) सुरक्षित रखे गए हैं। ऐसा माना जाता है कि इन ताड़पत्रों पर महर्षि अगस्त्य, भृगु, कश्यप और अन्य सिद्ध ऋषियों ने भविष्यवाणियाँ लिखी थीं, जिनमें मनुष्यों के जीवन की संपूर्ण जानकारी निहित है। नाड़ी ज्योतिष यह मानता है कि प्रत्येक आत्मा का एक पूर्वनिर्धारित मार्ग होता है, जिसे केवल योग्य नाड़ी ज्योतिषी ही पढ़ सकते हैं।
नाड़ी ज्योतिष में ताड़पत्रों की पहचान अंगूठे के निशान (पुरुषों के लिए दायां अंगूठा और महिलाओं के लिए बायां) के आधार पर की जाती है। जब व्यक्ति अपनी उंगली का निशान देता है, तो नाड़ी रीडर ताड़पत्रों की विशाल संग्रह से संबंधित बंडल को पहचानता है। इसके बाद कई प्रश्नों के माध्यम से सही पत्ते की पुष्टि की जाती है, जिसे 'कांडम' कहा जाता है। जब सही ताड़पत्र मिल जाता है, तब उसमें व्यक्ति का नाम, माता-पिता का नाम, जन्म तिथि, राशि, नक्षत्र और पूर्वजन्म के कर्मों की जानकारी मिलती है।
नाड़ी ज्योतिष के कुल 12 अध्याय होते हैं, जिन्हें कांडम कहा जाता है। प्रत्येक कांडम जीवन के एक विशेष क्षेत्र से संबंधित होता है जैसे कि परिवार, विवाह, संतान, स्वास्थ्य, आयु, नौकरी, यात्रा, आध्यात्मिकता आदि। सबसे पहले अध्याय में सामान्य जानकारी दी जाती है, जो यह प्रमाणित करता है कि ताड़पत्र वास्तव में उसी व्यक्ति का है। इसके बाद अन्य अध्यायों में विस्तार से जीवन की घटनाओं का वर्णन होता है।
नाड़ी ज्योतिष की सबसे विशेष बात यह है कि यह केवल भविष्यवाणी तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें समस्याओं के समाधान भी दिए जाते हैं। ऋषियों ने ताड़पत्रों में यह भी लिखा है कि यदि व्यक्ति किसी विशेष समस्या से ग्रस्त है, तो वह कौन-से उपाय करें जिससे वह कर्मों के प्रभाव को कम कर सके। ये उपाय अधिकतर आध्यात्मिक होते हैं, जैसे कि विशेष मंत्रों का जाप, विशेष मंदिरों की यात्रा, अनुष्ठान, दान या व्रत। इन उपायों को ‘परिहरम’ कहा जाता है।
आज के युग में जब मनुष्य भौतिकता में उलझ कर अपने जीवन के उद्देश्य को भूल गया है, तब नाड़ी ज्योतिष उसे आत्म-चिंतन और आत्म-ज्ञान की ओर ले जाता है। यह व्यक्ति को यह समझने में मदद करता है कि उसका जीवन क्यों वैसा है जैसा है, और वह अपने कर्मों को समझ कर उन्हें सुधार कैसे सकता है। इस विद्या में न केवल वर्तमान जीवन की घटनाएँ वर्णित होती हैं, बल्कि यह भी बताया जाता है कि वर्तमान जीवन में कौन से कर्म उसके पूर्वजन्म से जुड़े हैं।
तमिलनाडु के वैत्तीस्वरन कोइल, चेन्नई, चिदंबरम और तंजावुर जैसे स्थानों पर अनेक नाड़ी ज्योतिष केंद्र संचालित हैं, जहाँ पारंपरिक नाड़ी परिवारों की पीढ़ियाँ इस विद्या को संरक्षित कर रही हैं। इन परिवारों के पास ऋषियों द्वारा लिखित हजारों ताड़पत्रों का भंडार है। एक अनुभवी नाड़ी ज्योतिषी वर्षों की साधना, अनुभव और आध्यात्मिक ज्ञान के माध्यम से इन पत्तों को पढ़ता है और व्यक्ति को उसकी आत्मा की यात्रा के विषय में दिशा देता है।
नाड़ी ज्योतिष की महत्ता केवल भारत तक ही सीमित नहीं है, बल्कि विदेशों में भी इसके अनुयायी हैं। विश्व भर से लोग अपने जीवन की गुत्थियों को सुलझाने और आध्यात्मिक मार्गदर्शन पाने के लिए भारत आते हैं। इस प्राचीन विद्या ने लाखों लोगों को आत्मज्ञान, मानसिक शांति और जीवन के उद्देश्य को समझने में मदद की है।
अंततः, नाड़ी ज्योतिष केवल एक ज्योतिषीय पद्धति नहीं, बल्कि यह एक आध्यात्मिक विज्ञान है, जो व्यक्ति को उसके सच्चे स्वभाव, कर्म और आत्मा के लक्ष्य की ओर ले जाता है। यह जीवन की एक अद्भुत यात्रा है, जहाँ अतीत, वर्तमान और भविष्य एक साथ जुड़ते हैं, और व्यक्ति को उसकी वास्तविक दिशा का बोध होता है।